Krishna story in hindi

Krishna story in hindi कृष्ण भगवान की कहानी

भगवान श्री कृष्ण भारत में पूजनीय है, उनको हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने हैं, कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म कंस जैसे राक्षस का अंत करने के लिए हुआ था. और प्रथ्वी पर धर्म की रक्षा के लिए हुआ था, जिससे मानव जाति अच्छे से जीवन गुजार सकें. इस लेख में हम krishna story in hindi कृष्ण भगवान की कहानी जानेंगे जिससे हमें भगवान श्री कृष्ण के बारे में अच्छे से जानकारी मिल सकें.

भगवान श्री कृष्ण का जन्म Krishna story in hindi

श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में, मथुरा के कारागार में हुआ था, और वह माता देवकी और वसुदेव के आठवीं संतान के रूप में हुआ था.

उस समय कंस यानी माता देवकी के भाई और भगवान श्री कृष्ण के मामा ने माता देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया था. क्योंकि किसी ने कहां था कि देवकी की आठवीं संतान तेरा अंत का कारण बनेगी.

इसलिए कंस ने डर के मारे दोनों पति पत्नी को कारागार में डाल दिया था और एक एक करके कंस देवकी की संतान को जन्म लेते ही मार डालता था. और वह सात बच्चो को मार चुका था.

अब आठवें रूप में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ और हम जानेंगे कि कंस ने भगवान श्री कृष्ण का क्या है तो krishna story in hindi को अंत तक जरूर पढ़ें ताकि आपको पूरी और कृष्ण भगवान की कहानी पड़ने को मिले.

कृष्ण के जन्म के बाद क्या हुआ?

हम आपको बता रहे और यह krishna story in hindi भगवद गीता के अनुसार हैं, जब कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ है, उस समय रात का समय था और बहुत तेज बारिश भी हो रही थी.

तब आकाशवाणी हुई और श्री कृष्ण के पिता वसुदेव से कहां की आपको अपने पुत्र को तुरंत प्रभाव से गोकुल में माता योशोदा के पास ले जाना चाहिए. और वहां से माता यशोदा की कन्या को वापिस लाना है.

श्री कृष्ण के पिता वसुदेव तुरंत श्री कृष्ण को लेकर गोकुल की और निकल गया और माता यशोदा के जन्मी कन्या ले लिया और श्री कृष्ण को वहीं छोड़ दिया. इस तरह से भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ है.

श्री कृष्ण के अनेक नाम

कृष्ण को हिंदू धर्म में युग पुरुष और सर्वेश्रेष्ठ पुरुष और युगावतार माना गया है, यहीं कारण है कि भगवान श्री कृष्ण के अनेक नाम है. जैसे – कन्हैया, केशव, द्वारकाधीश, गोपाल, वासुदेव, श्याम, माखनचोर, कृष्ण, और मोहन, बनवारी आदि नामों से जाना जाता है. अलग अलग समय में अलग लोगो द्वारा भगवान श्री कृष्ण के नाम रखा है.

लार्ड कृष्ण के अपने युवा अवस्था में ही बहुत बड़े बड़े काम किए हैं जिसको करना आम इंसान के बस का नहीं था. जैसे उनके मामा कंस का वध करना जो एक दुराचारी राजा थे, और द्वारका नगरी की स्थापना करी और वहां अपना राज्य बसाया है.

भगवान श्री कृष्ण महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथी के रूप में भूमिका निभाई, और उसी समय श्री अर्जुन को श्री कृष्ण ने भागवत गीता सुनाई, जिसको श्री कृष्ण कि सबसे मुख्य रचना मानी जाती हैं.

एक मानव जीवन को सफल बनाने रखने के लिए भगवत गीता बहुत ही अच्छी रचना हैं, यह आज भी करोड़ों लोगों जीवन जीने का मार्ग बता रहीं हैं.

कहां जाता है अर्थात महाभारत के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने 124 साल बाद अपनी लीला को खत्म किया और फिर वह अपने परम धाम चले गए.

Story of krishna in hindi ( महाभारत में हथियार ना उठाने की श्री कृष्ण भगवान की कहानी )

श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन के सारथी के रूप में भूमिका निभाते हैं, और दोनों पक्षों से वादा करते हैं कि श्री कृष्ण पूरे युद्ध में हथियार नहीं उठाएंगे. क्योंकि महाभारत का युद्ध परिवार के लोगों के बीच ही हुआ था.

दोनों तरफ श्री कृष्ण के बुआ के लड़के में युद्ध हो रहा था, इसलिए लिए श्री कृष्ण ने युद्ध में हथियार नहीं उठाएंगे ऐसा वादा पांडाओ और कोर्वो से किया था.

जब दुर्योधन और अर्जुन सहायता के लिए भगवान श्री कृष्ण के पास आते हैं, तो श्री कृष्ण अचरज में पड़ जाते हैं, की उन्हें किसका साथ देना हैं. क्योंकि दोनों ही बुआ के लड़के हैं, लेकिन श्री कृष्ण धर्म के पक्ष का साथ देना चाहते थे, लेकिन वह दुर्योधन को मना भी नहीं कर सकते थे.

तब श्री कृष्ण ने दोनों ही महारथियों से पहले ही कहें दिया कि वह महाभारत के युद्ध में हथियार नहीं उठाएंगे, एक तरफ मेरी चतुरंगिनी सेना रहेगी और एक तरफ मै रहूंगा, लेकिन मै पूरे युद्ध में हथियार नहीं उठाऊंगा.

तब दुर्योधन ने मौका देखकर श्री कृष्ण से उनकी चतुरंगिनी सेना मांग ली, और वह अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण को मांग लिया है. यहीं कारण है कि भगवान श्री कृष्ण महाभारत में युद्ध नहीं लड़ा हैं, परन्तु श्री कृष्ण ने अर्जुन का मार्गदर्शन जरूर किया और यहीं कारण है कि महाभारत का युद्ध पांडवो ने जीता था.

Krishna story in hindi ( कृष्ण भगवान और कालिया नाग की कहानी )

एक बार भगवान श्री कृष्ण और उनके साथियों सहित यमुना नदी के किनारे गेंद खेल रहे थे, अचानक भगवान श्री कृष्ण के हाथो से गेंद यमुना में जा गिरी.

उसके बाद भगवान श्री कृष्ण वह गेंद लेने के लिए यमुना नदी में कूदने के लिए तैयार हो, उनके साथियों द्वारा बहुत समझाने के बाद भी श्री कृष्ण यमुना नदी में कूद गए.

कहां जाता है कि यमुना नदी में एक बहुत विशाल पांच फन वाला कालिया नाग रहता था, जिसके डर के कारण कोई भी यमुना नदी के पास नहीं जाते थे.

वह गेंद सीधी कालिया नाग के पास जा गिरी, जब वहां भगवान श्री कृष्ण पहुंचे तो कालिया नाग सो रहा था, तब उनकी रानियों अर्थात नगीनों ने श्री कृष्ण को बहुत समझाया कि तुम यहां से चले जाओ नहीं तो तुम्हे कालिया नाग नहीं छोड़ेगा.

लेकिन भगवान श्री कृष्ण कहने लगे, मै गेंद लिए बिना वापिस नहीं जाऊंगा और उसने कालिया नाग को जगाया और तब कालिया नाग बहुत क्रोधित हुआ. भगवान श्री कृष्ण से युद्ध करने लगा.

श्री कृष्ण ने कालिया नाग को बीच में से चिर दिया, तब कालिया नाग श्री कृष्ण से अपने प्राण कि भीख मांगने लगा, तब श्री कृष्ण ने कहां, मै तुम्हे एक ही शर्त पर जीवित छोड़ सकता हूं, तुम्हे यमुना नदी को हमेशा हमेशा के लिए छोड़कर जाना होगा.

और भगवान श्री कृष्ण कालिया नाग पर नृत्य करते करते बाहर निकले यह नजारा देखकर वहां के सभी लोग आश्चर्य चकित रहे गए और सभी लोगों के मन से कालिया नाग का डर हमेशा हमेशा हट गया है.

Krishna story in hindi ( श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी )

जब ब्रज के सभी लोग भगवान श्री कृष्ण की बात मानकर वहां के सभ ओग गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना करने और देवराज इंद्र की पूजा नहीं कर रहे थे. इस बात को देखकर देवराज इंद्र वृंदावन के निवासियों के ऊपर बहुत क्रोधित हुए हैं.

क्रोधित होकर इंद्र ने वृंदावन के निवासियों को दण्डित करने के लिए वृंदावन में भरी बादलों को भेजकर वहां, भारी वर्षा कारवाई जिसके कारण वृंदावन में बाढ कि संभावना उत्पन्न हो गई है.

वृंदावन के सभी लोग के घरों में पानी भरने लगा है और बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं, और अधिकतर लोगों के घर बहे गए हैं. तब वृंदावन के लोग बहुत डर गए और दौड़े दौड़े भगवान श्री कृष्ण के पास आए.

भगवान श्री कृष्ण इस पूरी घटना के बारे में पहले ही सबकुछ ज्ञात हो चुका था, और भगवान श्री कृष्ण देवराज इन्द्र के घमंड को खत्म करना चाहते थे.

तब भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर एक छते की भांति उठा लिया, और पूरे वृंदावन के लोग और गाए सभी गोवर्धन पर्वत के नीचे छुप गए हैं. ब्रज के सभी लोग इस अलौकिक चमत्कार को देखकर आश्चर्यचकिट रहें गए हैं.

और देवराज इंद्र ने यह सभी दृश्य देखकर बादलों को वापिस बुला लिया है, और ब्रज के सभी लोग खुशी खुशी रहने लगें है. यह krishna story की अद्भुत कहानी है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने इतने बड़े पर्वत को सिर्फ एक उंगली पर उठा लिया था.

Krishna story in hindi ( श्री कृष्ण और अर्जुन की कहानी )

एक बार श्री कृष्ण और अर्जुन दोनों स्नान करने के लिए एक तालाब में कि तरफ जा रहें थे, तभी अर्जुन मन ही मन में सोचने लगा कि क्या वास्तव में श्री कृष्ण अन्तर्यामी हैं. ऐसे ख्याल उनके मन में आने लगे.

लेकिन श्री कृष्ण उनकी बातों को जान गए थे कि अर्जुन क्या सोच रहे हैं, लेकिन श्री कृष्ण ने वहां पर अर्जुन को कुछ नहीं बोला, बल्कि अर्जुन को अपनी शक्ति बताना चाहते थे.

जब दोनों तालाब पर स्नान करने के लिए गए तो श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा मित्र में पहले स्नान कर लेता हूं फिर तुम तालाब में स्नान कर लेना. ऐसा कहेकर श्री कृष्ण तालाब में गए और स्नान कर के बाहर अा गए और अर्जुन से स्नान करने को कहा.

जब अर्जुन तालाब में स्नान करने के लिए गए और जैसे ही तालाब में डुबकी लगाई और फिर बाहर निकले तो वहां पर श्री कृष्ण नहीं थे और अर्जुन को यह भी पता नहीं था कि वह कोन है.

ऐसे मान लीजिए अर्जुन अपनी याददाश्त खो बैठे थे, और उन्हें पहले का कुछ भी याद नहीं रहा है, अर्जुन कहीं सालों तक ऐसे ही घूमते रहे हैं. किसी से पूछते हैं कि मै कोन हूं तो कोई नहीं बताता है क्योंकि एक ब्रह्मण के रूप में थे, और यह सब श्री कृष्ण की शक्ति द्वारा हो रहा था.

Story of lord krishna story in hindi

एक दिन अर्जुन किसी ऐसी जगह पहुंचे जहां, भगवान श्री कृष्ण की कथा हो रहीं थीं, तो अर्जुन भी वहां जाकर बैठ गए और कथा सुनने लगे. तब वहां श्री कृष्ण और अर्जुन की कहानी का प्रसंग निकला, की कैसे अर्जुन और श्री कृष्ण तालाब में नहाने गए थे और श्री कृष्ण ने कैसा चमत्कार किया. अर्जुन को यह बात सुनकर तुरंत वहीं बात याद गईं.

और अर्जुन उसी तालाब पर गए और वहां स्नान करने के लिए तालाब में उतरे जैसे ही तालाब में डुबकी लगाई और बाहर निकले तो देखा श्री कृष्ण अर्जुन की प्रतीक्षा में तालाब के बाहर ही खड़े हैं.

तब अर्जुन भगवान श्री कृष्ण के पैरो में गिरकर माफी मांगने लगे और कहां, है अन्तर्यामी मुझे माफ करना मैंने आप पर शक किया है मुझे आपके बारे में सब कुछ पता चल गया

Radha Krishna story in hindi राधा कृष्ण की प्रेम कहानी

एक बार जब भगवान् श्री कृष्ण भोजन करने के लिए बैठे तो महारानी रुक्मणि ने श्री कृष्ण को गरम गरम भोजन परोस दिया. जिसके कारन श्री कृष्ण का हाथ जल गया था, और उनको बहुत दर्द हो रहा था.

तब श्री कृष्ण के मुख से एक ही शब्द निकला है राधे, तब महारानी रुक्मणि ने श्री कृष्णा से पूछा हे नाथ आप हर कठिन परिस्तिथि राधे को क्यों याद करते है, जबकि मै हमेशा आपके साथ रहती हु आप मुझे तो कभी याद नही करते है.

श्री कृष्ण बोले हे रानी राधे मेरे ह्रदय में बस्ती है, और मुझे चोट लगती है, तो दर्द राधे को होता है, और जब राधा को चोट लगती है तो दर्द मुझे होता है, और मेरे हाथ जलने पर राधा को बहुत पीड़ा हो रही होगी.

इस बात पर पट राणीरुक्मणि सहमत नही होई और यह देखने के लिय, राधा के पास चली गई, वहा पर जब रुक्मणि ने राधा के हाथ देखे है, तो राधा के हाथ में छालेपड़े हुए थे, यह सब देखकर रुक्मणि सैम समझ गई. भगवान् श्री कृष्णा और राधा के अन्दर इतना अटूट प्यार था,

ऐसे ही भगवान श्री कृष्ण की बहुत सारी कहानियां है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं और उनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है. अगर आपको krishna story in hindi सही लगी तो शेयर जरुर करे .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *