यदि हम यह चाहते हैं कि वर्तमान समय में जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है उसके विपरीत हम सतत विकास के माध्यम से संसाधनों के दोहन पर नियंत्रण रख सके तो हमें जनसंख्या सिद्धांत को समझना भी आवश्यक है। ब्रिटिश के एक अर्थशास्त्री ने जनसंख्या का सिद्धांत दिया था यह सिद्धांत अपने आप में काफी ज्यादा प्रचलित हुआ।
यदि आपको नहीं पता की jansankhya ke mukhya siddhant ka varnan kijiye और जनसंख्या सिद्धांत क्या है तो आज के लेख में हम आपको Jansankhya Siddhant के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध करवाएंगे, और आपको बताएंगे कि जनसंख्या सिद्धांत क्या है। jansankhya sangathan se aap kya samajhte hain, इसके अलावा ये भी बात करेंगे कि जनसंख्या सिद्धांत क्यों महत्वपूर्ण है। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं-
जनसंख्या सिद्धांत किसने दिया? | Jansankhya Siddhant Kisne Diya
जनसंख्या सिद्धांत एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री माल्थस ने दिया था। माल्थस ने यह सिद्धांत देते हुए बताया था कि आमतौर पर जनसंख्या वृद्धि संसाधनों की वृद्धि की दर से अधिक तेज होती है। जिसके कारण एक समय ऐसा आता है, जब संसाधनों के दोहन के लिए परिवारों के मध्य देशों के मध्य समाज के मध्य जंग छिड़ जाती है।
ऐसी परिस्थिति में जानलेवा बीमारियां भी जन्म लेती है और यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक संसाधनों के लिए जनसंख्या एक संतुलित संख्या पर ना आ जाए। हालांकि जो सिद्धांत हमने आपको नाश्ते उसके सिद्धांत के नाम से बताया है यह उसे सिद्धांत का सार है।
जनसंख्या सिद्धांत क्या है?
माल्थस के जनसंख्या सिद्धांत के अनुसार जनसंख्या सदैव दोगुनी रफ्तार से बढ़ती है, लेकिन संसाधनों की बढ़ने की गति सामान्य होती है। इसलिए हर 25 वर्षों में किसी भी देश क्षेत्र की जनसंख्या दोगुनी हो जाती है।
कई अर्थशास्त्री माल्थस के इस सिद्धांत से सहमत नहीं हुए हैं। लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता की जनसंख्या वृद्धि की दर संसाधनों में वृद्धि की दर से कई गुना अधिक है।
यह आवश्यक है कि जनसंख्या सिद्धांत को समझ कर जनसंख्या नियंत्रण के समर्थन में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएं, ताकि जनसंख्या के परिपेक्ष में वह समय ना आ जाए, जब एक समाज को एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को संसाधनों के दोहन के लिए युद्ध करना पड़े।
जनसंख्या सिद्धांत क्यों महत्वपूर्ण है?
जनसंख्या का सिद्धांत जनसंख्या नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि हम जनसंख्या नियंत्रण नहीं कर सकेंगे तो आने वाले समय में वही हालात बनेंगे जो जनसंख्या सिद्धांत के अनुसार बताए गए हैं।
यानी कि सामान्य स्तर पर लोग और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश संसाधनों के दोहन के लिए एक दूसरे के अस्तित्व को मिटाने के लिए अग्रसर हो जाएंगे।
आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में एक रिपोर्ट के अनुसार यह बताया गया था कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर कुछ समय से धीमी हुई है। यह जनसंख्या दर सन 1970 के दशक के पास काफी तेज थी जो कि तकरीबन 2।5% थी। लेकिन वर्तमान समय में यह दर 1।2 प्रतिशत पर आ गई है।
लेकिन यह जनसंख्या वृद्धि की दर भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों जैसे कि मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, ओड़िसा, असम, हिमाचल प्रदेश इन सब में 1% से भी कम है, और दूसरी ओर भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार इन सब में ऐतिहासिक जनसंख्या वृद्धि दर्ज की गई है।
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निष्कर्ष
आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया भारत में जनसंख्या वृद्धि की चार अवस्था का समय बताइए | jansankhya sthit hoti hai jab jansankhya vriddhi hoti hai के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।