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कोपेन का जलवायु वर्गीकरण | Kopen ka jalvayu vargikaran

Kopen एक जर्मन मौसम वैज्ञानिक थे जिन्होंने सन 1900 के पास में मौसम एक ऐसा वर्गीकरण सिद्धांत दिया था जिसके आधार पर पूरे विश्व के मौसम और जलवायु को आसानी से वर्गीकृत किया जा सकता था। यह वर्गीकरण अपने आप में इतना उत्तम और आधुनिक था कि किसी भी अन्य मौसम वैज्ञानिक ने इस पर अपनी असहमति नहीं जताई।

अब आप सोच रहे होंगे कि कोपेन का Kopen ka jalvayu vargikaran क्या है? यदि आपको Kopen ka jalvayu vargikaran के बारे में जानकारी नहीं है तो कोई बात नहीं, क्योंकि आज के लेख में हम आपको Kopen ka jalvayu vargikaran के बारे में सारी जानकारी देंगे, ताकि आप यह जान पाए कि Kopen ka jalvayu vargikaran क्या था और किस प्रकार को पूरे विश्व के जलवायु को वर्गीकृत किया था। तो चलिए शुरू करते हैं:-

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण क्या है? | Kopen ka jalvayu vargikaran

Kopen जो कि एक जर्मन मौसम वैज्ञानिक थे उन्होंने सर्वप्रथम सन 1900 में संपूर्ण विश्व के मौसम को पांच भागों में वर्गीकृत कर दिया था, और इसे 5 समूहों में वर्गीकृत करके देखा जा सकता था। इसे A, B, C, D, E के नाम से जाना जा सकता है।

इन सभी के अंतर्गत उष्णकटिबंधीय जलवायु, शुष्क जलवायु, उष्ण शीतोष्ण/मध्य अक्षांशीय जलवायु, महाद्वीपीय शीतल हिम जलवायु, और ध्रुवीय शीत जलवायु को एक समूह में वर्गीकृत किया गया है।

मूल रूप से औसत वार्षिक एवं मासिक तापमान वर्षा एवं वर्षा काल को ध्यान में रखकर वर्गीकृत किया गया है। Kopen ने इसमें सन 1918 और 1936 में भी कई बदलाव किए थे और साथ ही अपने वर्गीकरण में इन्होंने तापमान और वर्षा को मौसम का मुख्य आधार माना है।

कोपेन कौन था?

Kopen मूल रूप से जर्मन मौसम वैज्ञानिक थे, जिसका पूरा नाम का व्लादीमीर कोपेन था।

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण विस्तृत रूप में

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण विस्तृत रूप में कुछ इस प्रकार समझा जा सकता है:-

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1. समूह A: उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु

इस समूह के अंतर्गत सभी महिलाओं का सम्मान रुप से औसत तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है। इसमें उष्णकटिबंधीय वर्षा वन जिसके अंतर्गत कोई शुष्क ऋतु नहीं होती, उष्णकटिबंधीय मानसून जिसके अंतर्गत मानसून लघु शुष्क ऋतु होती है, उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क मौसम जिनके अंतर्गत जाड़े की शुष्क ऋतु होती है, देखी जा सकती है।

2. समूह B: शुष्क जलवायु

इसके अंतर्गत वर्षा की तुलना में वाष्पीकरण की अधिकता ज्यादा होती है, और इसमें उपोष्ण कटिबंधीय स्टैपी, उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थल, मध्य अक्षांशीय स्टैपी, और मध्य अक्षांशीय मरुस्थल देखे जा सकते हैं।

3. समूह C: उष्ण शीतोष्ण मध्य / अक्षांश की जलवायु

इसके अंतर्गत सर्वाधिक ठंडे महीने के अंतर्गत औसत तापमान 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक लेकिन 18 डिग्री सेल्सियस से कम होता है। इसमें जलवायु अक्षांशीय होती है। इसके अंतर्गत आर्द्र अर्ध कटिबंधीय जलवायु, भूमध्यसागरीय जलवायु, महासागरीय जलवायु देखी जा सकती है

4. समूह D: महाद्वीपीय जलवायु

महाद्वीपीय जलवायु के अंतर्गत वर्ष के सबसे ठंडे महीने का औसत तापमान 3 डिग्री सेल्सियस से नीचे होता है, और इसमें दो प्रकार के वर्गीकरण देखे जा सकते हैं- आर्द्र महाद्वीपीय, और सुबारिक जलवायु।

5. समूह E: ध्रुवीय या शीत जलवायु

इसके अंतर्गत सभी महिलाओं का औसत तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के नीचे होता है, और इसमें टुंड्रा तथा हीमटोप जैसे वर्गीकरण देखे जा सकते हैं।

निष्कर्ष

आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया कोपेन का जलवायु वर्गीकरण आधारित है | kopen ka jalvayu vargikaran aadharit hai के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।

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